तीसरी क्लास में सीखी वेबसाइट डिजाइनिंग, 11 साल की उम्र में कंपनी शुरू कर बनीं सीईओ

जीत का अर्थ हमेशा युद्ध जीतना नहीं बल्कि हर बार गिरकर उठ खड़े होना भी होता हैै-नेपोलियन के इन शब्दों से प्रेरणा लेने वालीं और सेंट जोसफ देवागिरी कॉलेज, कालिकट से ग्रेजुएशन करने वालीं श्रीलक्ष्मी सुरेश जब आठ साल की थीं तभी दुनिया की सबसे कम उम्र की सीईओ के तौर पर अपनी पहचान बनाने में सफल हुईं।

बहुत-से प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त कर चुकी श्रीलक्ष्मी ने बिजनेस और पढ़ाई साथ-साथ किए। बचपन से ही वे कम्प्यूटर्स के प्रति बहुत पैशनेट थीं और पढ़ाई के साथ ही डिजाइनिंग आदि सीखती रहीं। जब उनके दोस्त सांप-सीढ़ी या कैरम खेलते थे, उस समय उन्हें कम्प्यूटर पर वेब डिजाइनिंग से जुड़े प्रयोग करना पसंद था

और आगे चलकर यही उनका बिजनेस बन गया। कम उम्र में तकनीक के क्षेत्र में इतना काम करने के लिए 2008 मेंं उन्हें मिनिस्ट्री ऑफ वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट की ओर से नेशनल चाइल्ड अवॉर्ड्स फॉर एक्सेप्शनल अचीवमेंट मिला। श्रीलक्ष्मी को उनकी कंपनीज टाइनीलोगो व ईडिजाइन के लिए और भी कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड्स दिए जा चुके हैं।

अपनी हॉबी को ही बनाया बिजनेस का आधार

श्रीलक्ष्मी ने हॉबी के तौर पर स्कूल में ही वेब डिजाइनिंग सीखना तब शुरू किया था जब वे तीसरी क्लास में थीं। चौथी क्लास तक आते-आते वे अपनी पहली वेबसाइट तैयार कर चुकी थीं जो उनके अपने स्कूल के लिए थी। इसके लिए उन्हें सराहा गया और उन्हें वेब डिजाइनिंग के बहुत से ऑर्डर्स भी मिले। यहीं से उन्हें अपनी कंपनी ईडिजाइन शुरू करने की प्रेरणा मिली। हालांकि श्रीलक्ष्मी की कम उम्र को देखकर उनके पेरेंट्स काफी चिंतित थे, लेकिन उनकी मेहनत ने उनकी चिंता दूर कर दी।

रोज नई चुनौतियां देती हैं कुछ नया सीखने का मौका

श्रीलक्ष्मी के अनुसार उनकी सफलता की मुख्य वजह यह रही कि उन्हें अपना काम पसंद था और जैसे-जैसे उनका अनुभव बढ़ता गया, उनका विश्वास भी बढ़ता गया। वे अपने प्रोजेक्ट स्टेट ऑफ केरला डॉट इन को लेकर बहुत उत्साहित हैं। यह एक तरह से केरल का एनसाइक्लोपीडिया है। वेब डिजाइनिंग के बिजनेस की सबसे अच्छी बात उन्हें यह लगती है कि इस काम में रोज नए चैलेंजेज होते हैं और हर प्रोजेक्ट अपने आप में अलग होता है जिसकी वजह से उन्हें लगातार नई टेक्नोलॉजीज के बारे में सीखना पड़ता है।

इच्छाशक्ति मजबूत हो तो आड़े नहीं आती उम्र

श्रीलक्ष्मी बहुत-से यंगस्टर्स के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी हैं। वे कहती हैं कि अगर आप कुछ करना चाहते हैं तो उम्र कोई बाधा नहीं होती, बस आपके अंदर उसे करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए। उनका मानना है कि सेल्फ-डिसिप्लिन, धैर्य, प्लानिंग और समर्पण के साथ आप कोई भी सफल मुकाम हासिल कर सकते हैं।