शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा दंपती लोगों को कर रहा जागरूक, दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधे संरक्षित करने का चलाया अभियान

शिक्षा क्षेत्र से जुड़े रोहतक के गांव रुड़की निवासी दंपती सुरेंद्र सिंह हुड्डा व मुर्ति देवी पर्यावरण संरक्षण को लेकर 2002 से लोगों को जागरूक करने के अभियान में लगे हुए हैं। अब तक दंंपति द्वारा क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में करीब 8 हजार पौधे रोपित कर दिए। वहीं विलुप्त होते पेड़-पौधों के संरक्षण को लेकर दंपती द्वारा अलग से अभियान चलाया जा रहा है।

ताकि वर्तमान व आने वाले समय में विद्यार्थी डिजीटल नहीं फिजिकल भी पेड़-पौधों की दुर्लभ प्रजातियों को देख सके। इसके लिए साल 2014 में रूड़की-किलोई लिंक मार्ग पर करीब 2 एकड़ जमीन खरीद उसकी चारदीवारी करने के बाद दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधे संरक्षित करने के अभियान को तेज गती दी। अब तक करीब 50 प्रकार के दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधों को संरक्षित कर चुके है।

जिनमें प्रमुख रूप से डाख या टीसू ट्री, झंड या खेजड़ी, जाल, शमी पत्र, चीड़, फिक्स राशिमोसा गुलर या डुमुर, पारस पीपल, रक्त चंदन, सारिका अशोका, सीता अशोका, कल्पवृक्ष, म्माखन कटोरा या कृष्ण वट, नाग केसर समेत अन्य हैं। विलुप्त होती प्रजाति के पेड़-पौधो को एक कतार से निश्चित दूरी पर लगाया गया है।

शहरीकरण के कारण विलुप्त हो रही पेड़-पौधों की प्रजातियां

नर्सरी व्यवसाय से जुड़े यासीन खान का कहना है कि बढ़ते शहरीकरण के कारण पेड़ – पौधों की बहुत सी प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं। बावजूद इनके संरक्षण को लेकर कोई ठोस नियम कानून अभी तक सरकार द्वारा नहीं लागू किया गया है।

बढ़ती जनसंख्या व घटते रक्बे के कारण अब लोग सुंदर दिखने वाले व छोटे पेड़-पौधों को ज्यादा प्राथमिकता देने लग गए। हालांकि बहुत से लोगों का आज भी प्रकृति के प्रति कोई विशेष लगाव नहीं देखने को मिल रहा है। इस लिए प्रकृति को संरक्षित करने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूत है। इसी लिए बहुत सेे पेड़-पौधों की प्रजातियां लगातार विल्पत हो रही है।

प्रकृति संरक्षण के लिए यह भी करना जरूरी

  • वनों की कटाई पर रोक।
  • वनीकरण को बढ़ावा।
  • भू- उपयोग प्रणाली में सुधार।
  • जीवाश्म ईंधन का कम से कम प्रयोग
  • अपरंपरागत ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा।
  • ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर रोक
  • जैव – उर्वरकों का अधिकतम उपयोग
  • प्लास्टिक की वस्तुओं का कम से कम प्रयोग।
  • पुन: प्रयोग में आ सकने वाले पदर्थों से बनी वस्तुओं का ज्यादा इस्तेमाल।

औषधीय पौधों के संरक्षण की जरूरत

रोहतक रेंज के वन विभाग अधिकारी राकेश गुलिया का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग व सरंक्षण के अभावा में कुछ पेड़-पौधों की प्रजातियां विलुप्त हो रही है। हालांकि वन विभाग लगातार लोगों को प्रकृति में हो रहे बदलाव से जागरूक कर रहा है। ताकि ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए जाएं।

वहीं कुछ सामाजिक संगठन भी प्रकृति की रक्षा के लिए लगातार मुहिम चलाए हुए है। बहुत सारे ऐसे पेड़-पौधे भी लगातार विलुप्त हो रहे है, जिनके औषधीय गुणों के अलावा पक्षियों अपना रैन बसेरा भी बनाते हैं। जिनमें जाल,खेजड़ी प्रमुख है। इनके संरक्षण की जरूरत है।