जानें जिंदगी में अपने सपने पूरे करने का चमत्कारी तरीका

पहचानिए लक्ष्य का चमत्कार

सपने हर कोई देखता है। सफ्ने चाहे छोटे हों या बड़े, इनका जीवन को खुशहाल स्खने में बड़ा महत्व होता है। सपनों को सच करना आत्म-सम्मान में वृद्धि करने का एक तरीका भी है। सपने तभी पूरे होते हैं जब आप उन्हें लक्ष्य में बदल लेते हैं। ये लक्ष्य आपके जीवन को चमत्कारी ढंग से बदल देने का माद्दा रखते हैं, बस जरूरत है तो इन्हें सही तरह से अमलीजामा पहनाने की।

चमत्कार का इंतजार न करें

जो किस्मत में होगा वही मिलेगा, ऐसा सोचकर अकसर लोग किसी चमत्कार के इंतजार में सारी जिंदगी बिता देते हैं। चमत्कार उन्हीं के जीवन में होते हैं, जो स्वयं चमत्कार करते हैं। कैसे ? लक्ष्य निर्धारित करके। झसलिए इंतजार मत कीजिए- फिर चाहे आपका लक्ष्य कोई परीक्षा पास करना हो, प्रमोशन पाना हो, कलाकार बनना हो, विश्व- स्तरीय खिलाड़ी बनना हो या करोड़पति बनना हो, आज से ही अपना लक्ष्य स्पष्ट कर लीजिए।

लक्ष्य कैसे निर्धारित करें?

आपका लक्ष्य क्या है? क्या यह सिर्फ ऑफिस पहुंचना है या समय पर ऑफिस पहुंचना है? इससे बहुत फर्क पड़ता है। परिणाम निर्धारित लक्ष्य के आधार पर ही मिलता है। यदि देर से ऑफिस पहुंचने पर पूछताह होती है तो वह शायद इसीलिए क्योंकि आपने समय पर ऑफिस पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित नहीं किया। आपको उन लक्ष्यों की पहचान करनी होगी

जिन्हें आप प्राप्त करने की कोशिश करते रहते हैं। वे लक्ष्य निर्धारित करें जिन्हें पाने की आप में काबिलियत हो। हां, ऐसे लक्ष्य भी निर्धारित किए जा स्कते हैं जो आज तक आपको कठिन लगते हैं, पर आप अपनी मेहनत के बल पर उन्हें पा जाने की काबिलियत रखते हैं। सारांश यह है कि लक्ष्य कठिन
हों, लेकिन असम्भव नहीं और जितने स्पष्ट हों, उत्तना अन्छा!

लक्ष्य का बंटवारा

छोटी-छोटी सफलताएं ही मिलकर एक बड़ी सफलता बनती हैं, इसलिए अपने बड़े लक्ष्य को छोटे-छोटे लक्ष्यों में बांटिए, याद कीजिए कि आपने भी अब तक जो ज्ञान हासिल किया है, यह भी वर्षों तक हर साल स्कूल-कॉलेज में कई परीक्षाएं एक-एक कर उत्तीर्ण करके ही किया है। हर साल परीक्षाएं देकर ही आप इतना सब्कुछ जानते हैं। ठीक इसी तरह किसी भी बड़े लक्ष्य को छोटे-छोटे लक्ष्यों में बांटिए और हर छोटे लक्ष्य को पाने पर खुशी मनाएं। ऐसा करके आप सदा उत्साहित रहेंगे और बड़ा लक्ष्य आसानी से पा लेंगे।

लक्ष्य अनेक भी हो सकते हैं

लक्ष्य छोटे-बड़े हो सकते हैं। ये लक्ष्य तात्कालिक, अल्पावधि, मध्यावधि या दीर्घकालिक और यहां तक कि पूरे जीवन के लिए भी हो सकते हैं। उदाहरणार्थ समय पर कार्यालय पहुंचना तात्नालिक लक्ष्य है, बॉँस को कोई रिपोर्ट दो दिनों के अंदर देनी है, तो यह अल्पावधि लक्ष्य है। यदि आप प्रमोशन पाना चाहते हैं तो यह मध्यम अवधि लक्ष्य है।

एक बड़ा धर्मार्थ अस्पताल स्थापित करने का लक्ष्य लग्बी अवधि के लक्ष्य का उदाहरण हो सकता है। मसला यूं है कि पाना तो आपको सारी मंजिलें हैं, चाहे छोटी हों या बड़ी! सभी मंजिलों को निश्चित समय सीमा मे ही हासिल करना है, लेकिन ये होगा कैसे?

एक दिन में नहीं आती सफलता

सफलता के शिखर तक पहुंचने का सफर लम्बा और कठिन होता है। जो इन कठिनाइयों से बिना घबराए आगे बढ़ता रहता है, मंजिल उससे दूर नहीं रहती। इसलिए सबसे पहले आफ्को अपने जीवन में क्या चाहिए यह तय कीजिए और उसे पाने के लिए तब तक पूरी लगन से कोशिश करते रहिए, जब तक वह आफ्को मिल न जाए।