अनपढ़ किसान ने कबाड़ से बनाया Power Tiller, ढाई लीटर पेट्रेल में करता है दस कट्ठा जमीन की जुताई

 

एक कहावत है कि आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है, विष्णुगढ़ के उच्चघाना निवासी रमेश करमाली ने इस कहावत को सच कर दिखाया है। उसके छोटे भाई ने दो भैंस बेच दी तो उसके बाद रमेश को खेती के लिए परेशानी होने लगी और उसे खेती के लिए दूसरों से बैल मांगना पड़ता था।

अनपढ़ रमेश ने महज आठ हजार रुपये जुगाड़ कर खेती शुरू की और साथ ही पावर टीलर बनाकर खेती के लिए बैल और भैंसों का झंझट भी दूर कर दिया। उसने यह चमत्कार कबाड़ में फेंके उस स्कूटर के इंजन से किया जिसे किसी ने उसे तीन हजार रुपये में बेच दिया था। रमेश पेशे से मोटर मैकेनिक था तो उसने इसमें थोड़ा बदलाव किया और फिर घर में टीलर तैयार कर खेतों की जुताई शुरू कर दी।

और आज रमेश का पावर टीलर दस गुणा कम दर पर खेतों की जुताई कर रहा है। दस कट्ठा जमीन अर्थात पांच घंटे की भरपूर जुताई इस मशीन से सिर्फ ढाई लीटर पेट्रेल में की जा सकती है। रमेश की यह मशीन पूरे गांव के लिए प्रेरणादायी बन गई है।

रमेश तीन साल की उम्र में पिता के साथ पुणे चला गया। पिता मजदूरी करते थे, वह भी 90 -साल की उम्र में। 1995 में उसे बजाज शोरूम में काम पर लगा दिया गया। 2005-6 में उसे पुणे में ही बजाज कंपनी में प्रशिक्षण पाने का मौका मिला। वहां बजाज के दोपहिया वाहन की सेल्फ की गड़बड़ी ठीक करने पर उसको पुरुस्कार दिया गया था।

नौकरी का भी ऑफर हुआ लेकिन पढ़ा-लिखा नहीं होने के कारण उसे नौकरी नहीं मिली। वह वापस अपने गांव आ गया और ऑन काल मोटरसाइकिल रिपेयिरंग का काम करता है। उसके छोटे भाई द्वारा खेती के लिए दो भैंस बेच देने पर रमेश परेशान था. इसीका सोचते हुए उसके दिमाग में पोर्टेबल पावर टीलर बनाने की एक तरकीब आई.

इसके लिए सबसे पहले 20 इंच बाय 41 इंच का चेचिस बनाया. अब इंजन और हैंडल की जरूरत पूरी करने के लिए कबाड़ में तीन हजार रुपये में मिले स्कूटर का इंजन लगा दिया. गेयर बॉक्स, हैंडल और दोनों चक्कों को निकाल कर बनाए उस चेचिस में फिट कर दिया. बाद में उसे स्टार्ट कर चला कर देखने पर उसके मुताबिक पावर टीलर सही निकला.